डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) और महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भाकृअनुप -भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची में विभिन्न शिक्षण, अनुसंधान और प्रशिक्षण सुविधाओं का उद्घाटन किया
भाकृअनुप – भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीएआर-आईआईएबी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की अंतर्गत में एक नव स्थापित संस्थान है, जो गढ़खटांगा, रांची में स्थित है। कृषि जैव प्रौद्योगिकी में बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान पर काम करने और इस क्षेत्र में मानव संसाधन विकसित करने के लिए इस संस्थान को राष्ट्रीय जनादेश है। यह फसलों, जानवरों, मछलियों और रोगाणुओं में इंटरफेस बायोटेक्नोलॉजिकल अनुसंधान के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। मानव संसाधन विकास की दिशा में संस्थान ने कृषि जैव प्रौद्योगिकी में B.Tech एवं आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी, जैव रसायन और आनुवंशिकी तथा पादप प्रजनन में M.Sc शुरू की है। इसके अलावा संस्थान किसानों और संबंधित विभागों के अधिकारियों को फसल उत्पादन, पशुधन और मछलियों की बेहतर प्रथाओं पर प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा है।
इन प्रयासों की दिशा में आज (02 फरवरी, 2023) विभिन्न बुनियादी सुविधाएं जैसे सावित्रीबाई फुले हॉस्टल, अन्नपूर्णा मेस, फसल अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (सीआरटीसी), पशुधन अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एलआरटीसी), और मछली अनुसंधान प्रशिक्षण केंद्र (एफआरटीसी) का उद्घाटन डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर) द्वारा डॉ. एस. के. दत्ता, पूर्व उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएबी की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर भाकृअनुप-आईआईएबी द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के उपलक्ष्य में मोटा अनाज पर एक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें 200 से अधिक किसानों और छात्रों ने भाग लिया।
डॉ हिमांशु पाठक का स्थानीय ग्रामीणों द्वारा झारखंड के पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने भाकृअनुप-आईआईएबी द्वारा की गई विभिन्न पहलों की सराहना की। उन्होंने आशा की, कि भाकृअनुप-आईआईएबी इस दिशा में न केवल अनुसंधान में बल्कि प्रशिक्षित मानव शक्ति के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में यह संथान पूर्वोत्तर क्षेत्रों को ‘ लाइट हाउस ‘ बनेगा। साथ ही उन्होंने संस्थान के शिक्षा के गुणवत्ता को उच्चतम रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं कृषि के क्षेत्र में यह संस्थान एक हब बनेगा।
डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएबी ने संस्थान द्वारा की गई पहलों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आम जनता में जैव प्रौद्योगिकी पर गलत धारणाओं को समाप्त करने की आवश्यकता है और आश्वासन दिया कि संस्थान जैव प्रौद्योगिकी की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए कड़ी मेहनत करेगा।
संस्थान अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक भी प्रसिद्ध फसल जैव-प्रौद्योगिकीविद् डॉ एस के दत्ता की अध्यक्षता में 2-3 फरवरी, 2023 को आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा में आईसीएआर का बड़ा योगदान है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि यह संतान भी कृषि विकास के लिए काम करेगा और किसानोंकी समस्याएं सुलझाने के लिए तत्पर रहेगा।